गौर करने की बात है कि मायावती ऐसी हैं क्यों? 2010 में लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर पार्क में मायावती ने नोटों की माला पहनी. इसकी चौतरफा आलोचना हुई. लेकिन, अगले ही दिन पार्टी कार्यालय में मायावती ने फिर नोटों की माला पहनी और साबित कर दिया कि जो वो सोचती हैं वही करती हैं. वो जिद्दी हैं और शायद इसी जिद का नतीजा है कि अब भाई और भतीजा पार्टी नेतृत्व में हैं.