देश की हर सियासी पार्टी लोकसभा चुनावों की तैयारी में मशगूल है. देश का वोटर ईवीएम का बटन दबाने को बेताब है. हर तरफ बस एक ही शोर है, फिर मोदी या इस बार कोई और है. इस लोकतांत्रिक महाकुंभ में खद्दरधारियों के बीच होड़ लगी है कि उत्तर प्रदेश में आंकड़ों के संगम में शाही स्नान कौन करेगा.
इसकी अहमियत तब और बढ़ जाती है जब उत्तर प्रदेश में भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की दूसरी सालगिरह हो. 2017 के विधानसभा चुनावों में क्या था बीजेपी का संकल्प पत्र और क्या है आज की जमीनी हकीकत? आखिर क्या है किसानों का हाल, क्यों है बेरोजगारों का बवाल और किस वजह से उठ रहे हैं एनकाउंटर पर सवाल??
तारीख 19 मार्च 2017. लाउडस्पीकर पर एक आवाज गूंजी, ”मैं आदित्यनाथ योगी, मुख्यमंत्री की शपथ लेता हूं.”
ताबड़तोड़ पूरे यूपी में स्लॉटर हाउस पर ताले लगने लगे. हर गली मोहल्ले से मनचले मजनूं यानी अंग्रेजी में रोमियो पकड़े जाने लगे. हर किसी को समझ में आ गया कि एक फायरब्रांड भगवा वस्त्रधारी योगी अब सूबे के सीएम हैं. दो डिप्टी सीएम, 22 कैबिनेट मिनिस्टर, 13 राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार के साथ नौ राज्य मंत्री.