इसमें कोई शक नहीं कि कांशीराम के सॉफ्ट दलित मूवमेंट में मायावती ने एग्रेशन का तड़का लगा दिया. यही वजह रही कि दलित एक सुर में ‘बहन जी-बहन जी’ करने लगा. लेकिन इस आक्रामकता को मायावती ने कभी ग्राउंड जीरो पर नहीं उतारा. असल में जमीन पर दलितों की आक्रमकता को गुस्से में तब्दील करने का काम सहारनपुर से शुरू किया गया और इस काम को अंजाम देने वाला नाम है चन्द्रशेखर आजाद उर्फ रावण.
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